एक प्रश्न - -नवल किशोर सिंह
www.sangamsavera.in
संगम सवेरा वेब पत्रिका
एक प्रश्न?
हे कविकुलभूषणों!
हिंदी के तत्सम शब्दों को
नित्य क्लिष्ट कहकर
अस्पृश्य बतलाते हो।
व्याकरण-विरुद्ध,
अमानक शब्दों का
सृजन में
घालमेल करने से,
किंचित भी नहीं
हिचकिचाते हो।
असंगत शब्द-मैत्री पर भी,
निरंतर,
वाहवाही के पुष्प
उन्मुक्त होकर बिखराते हो।
अरब देश से आई,
उच्छृंखल बाला को,
मखमली कहकर,
प्रसन्नतापूर्वक
पहले
गले से लगाते हो।
और फिर,
उसके वश में
विभ्रमित होकर,
छली मुस्कान
अधरों पर सजाते हो।
किंतु,
सुशिष्ट संस्कृत
और संस्कृति को भी,
सतत स्वयं से दूर,
अति दूर किए जाते हो।
फिर 'आदिपुरुष' जैसे
फिल्मी संवाद पर
तुम प्रश्न क्यों और कैसे
उठाते हो?
सच-सच बतलाना
क्या हम दोषी नहीं?
-©नवल किशोर सिंह
04.07.2023
Post a Comment