फ्रेनेमी (कहानी)- आकांक्षा सक्सेना

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फ्रेनेमी

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पीछे का गेट खुलने की आवाज़ को सुनकर रेखा चौंक गयी और मन ही मन बोली आ गयी बरखा! जिंदा आफत अब ये दिमाग खायेगी और तभी घर में ऊंचा स्वर गूंजा रेखा.. ओ.. रेखा! यह स्वर गूंजता देख रेखा ने कहा, ''अरे! यार बरखा तेरा जन्मदिन बहुत जल्दी आ जाता है। जन्मदिन की पार्टी में बुलाने आयी होगी। देख मेरे एग्जाम है, मैं नहीं आने वाली। यह सुनकर बरखा बोली बस यूंहि मिलने आयी हूं। यार कोई जन्मदिन नहीं है। रेखा ने कहा, ''चल बता अब क्या लूटने आयी है लुटेरी कहीं की?'' यह सुनकर हंसते हुए बरखा ने अपनी बचपन की दोस्त रेखा को अपने गले से लगा लिया । तभी रेखा ने उसका हाथ झिड़कते हुए कहा, ''अरे! बेवकूफ़ क्या तुम्हें यह भी नहीं पता कि कोरोना अब भी चल रहा है और वैक्सीन भी अभी हम दोनों तक नहीं पहुंची। तभी बरखा ने कहा, ''मरना ही है तो लिपट कर तेरे हाथ का पुलाव खाकर न मरेंगे।'' तभी अचानक बरखा ने कहा, ''यार! रेखा तेरा ब्यायफ्रैंड गुस्सा था क्या मान गया? मैं कुछ मदद करूं? रेखा ने कहा, ''तेरे मंगेतर सुधीर के क्या हाल हैं? तो बरखा ने कहा, '' छोड़ यार वह अपनी मां बहन से पूछ कर ही हर काम करता है एक नम्बर का फट्टू।'' तू बता? रेखा ने कहा बरखा, ''मैं सिर्फ़ तुझ पर विश्वास करतीं हूँ, यह ले मेरे ब्यायफ्रैंड मनीष का नम्बर और मेरा झगड़ा मिटवा दे यार।'' तभी डोरबेल बजी तो रेखा ने कहा, ''शायद मम्मी स्कूल से आ गयीं तू पीछे गेट से निकल जा वरना डांटेगी। कहेगीं कि यही एग्जाम की तैयारी चल रही या पार्टी चल रही। यह सुनकर बरखा सोफे पर कुछ रखकर वहां से चली गयी। रेखा अपनी मम्मी को चाय बनाने किचन में गयी तो रेखा कि मम्मी ने देखा सोफे पर क्या है? उन्होंने पॉलीथिन में बियर की बोतल देखी। वह गुस्से से बोलीं क्या वो बरखा यहां आयी थी? यह सुनकर डरते हुए रेखा ने कहा, हाँ पर जल्दी भगा दिया मैनें। तो रेखा क् मम्मी ने समझाया कि यही बोतल तुम्हारे पापा ने देख ली होती तब? बेटा बुरी लड़की है दूर रहो उससे। रेखा ने कहा, ''हां, माँ आप खाना खा लो। प्लीज़ घूरो मत मैं बिल्कुल बरखा को व्हाट्सएप से ब्लॉक कर दूंगी। मां मे गुस्से से कहा कि दिमाग में ब्लॉक करो। कुछ समय बाद रात हो गयी और रेखा अपनी रजाई में दुबके-दुबके मोबाइल चलाने लगी तभी बरखा का मैसेज आया कि तू देहाती ही रहेगी बेवकूफ़। बोतल रखी है जरा सी पीकर देख तब मजा आयेगा। जिंदगी वही जो मन भर न जियो। कुशन के नीचे सिगरेट भी रखी है देख। पी मेरी जान फिर बताना। वीडियो चैट पर आ मैं सिखातीं हूं सिगरेट पीना। तुझे मार्डन स्टाइलिश बना दूंगी कि तेरा ब्यायफ्रैंड केवल तुझे ही चाहे। यह सुनते ही रेखा ने पूरी बोतल बीयर गटक ली और चार सिगरेट भी पी डालीं और फिर दिमाग ऐसा चकराया कि सुबह एग्जाम की तैयारी के वो लायक ही नहीं रही। दूसरे दिन उसका पेपर पूरी तरह बिगड़ गया। तभी दूर से मनीष आता दिखा और वह मनीष की तरफ़ दोड़ी की लड़खड़ा कर गिर पड़ी। तभी वहां बरखा आ गयी और बोली, ''चलो डॉक्टर के पास चलो।'' रेखा ने कहा नहीं हल्का सा चक्कर आया कोई बड़ी बात नहीं है। फिर भी वह नहीं मानी और मनीष, बरखा और रेखा तीनों डॉक्टर के पास पहुंचे को डॉक्टर ने देखते ही कहा कि नशा कम किया करो। यह सुनकर मनीष गुस्से से उबल पड़ा कि रेखा तुम नशा करती हो? आर यू सीरियस? पहले पता होता मैं तुमसे बात तक नहीं करता। कहकर वहां से चला गया। यह देख बरखा ने कहा, ''मैं सब ठीक करवा दूंगी।'' तुम घर पहुंचो या सुनो तुम मेरी स्कूटी पर बैठो मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दूं। कहकर रेखा को बरखा ने अपनी स्कूटी पर बैठा लिया और धीरे-धीरे घुमा घुमा कर समय वो कर लिया जब रेखा की मम्मी के स्कूल से लौटने का वक्त होता था तभी बरखा ने देखा कि आंटी जी यहीं से स्कूटी से निकलेगीं तो उसने तुरंत रेखा को सामने महिला डॉक्टर के अस्पताल में ले जाकर कहा, ''इसने कल सिगरेट, बियर पी है कोई दवा दे दो, इसे चक्कर आने बंद हो जायें। वह महिला डॉक्टर बोली कहीं गर्भ तो नहीं ठहर गया। चलो मैं जांच कर दूं। रेखा बोली, ''दिमाग ठीक है तुम्हारा।'' इस बहस को करते हुये रेखा बरखा दोनों उस अस्पताल से बाहर निकलीं कि रेखा कि मम्मी ने देखा कि यह मोहल्ले में क्या हो रहा है? रेखा की मम्मी ने सामने से आकर उस महिला डॉक्टर से कहा, ''क्या बात है सुलेखा जी? तो डाक्टर बोलीं कि तुम्हारी रेखा को चक्कर आ रहे उसकी हालत देखो? मैने पूछा एवोसन कराने तो नहीं आयी? यहां लड़कियां इसी कार्य से आती हैं तो मैनें पूछ लिया। इतना सुनते ही रेखा की मां ने सबके सामने रेखा को दो थप्पड़ जड़ दिये और कहा कि तमीज से कह देती कि मैम ऐसी बात नहीं है दवा लेने आयी हूं बस। लड़ क्यों रही थी। यह सब देख बरखा वहां से रफूचक्कर हो गयी। दूसरे दिन बरखा रेखा के ब्यायफ्रैंड के पास साड़ी में पहुंची और बोली मनीष मुझे मंदिर जाना है प्लीज़ तुम छोड़ दो मेरी स्कूटी गजबड़ है। मनीष ने कहा, पीछे बैठो। तो बरखा मनीष के चिपक कर बैठ गयी और कान में बोली, ''तुम तो इतने हैंडसम हो और हैंडसम लड़के गुस्से में अच्छे नहीं लगते?'' यह सुनकर मनीष गुस्से से बोला, ''अरे! यार मैं लड़का होकर इलायची तक नहीं खाता और वो बियर सिगरेट, पता नहीं किसकी संगत में पड़ गयी रेखा।, मेरा दिल कर रहा ये जो सामने से ट्रक आ रहा है, मैं इसी के नीचे आकर अपनी जान दे दूं। यह सुनकर पीछे बैठी बरखा ने दोनों हाथ से मनीष को कस लिया और कान मैं बोली कि मर जाना किसी के काम मत आ जाना। यह सुनकर मनीष ने गाड़ी साईड में लगायी और कहा, ''दोबारा बोलना।'' तो बरखा ने आंख मारते हुए कहा, '' मर जाना पर किसी के काम मत आ जाना।'' यह ईशारा पाकर मनीष ने कहा, ''तुम्हारे ईरादे नेक नहीं लगते।'' बरखा ने कहा, ''नेक काम करके कौन सा स्वर्ग जाना है मुझे, मुझे तो साला नरक ही जाना है। यह सुनकर मनीष ने कहा, ''क्यों क्यों? नरक में क्यों जाना? बरखा ने कहा, ''सब कमीने दोस्त नरक में ही तो मिलेगें, सब फालतू नरक में ही तो मिलेगें, भीड़ की रौनक तो नरक में ही होगी। स्वर्ग में दो चार लोग क्या मजीरे बजायेगें। यह सुनकर मनीष जोर से हस पड़ा और बोला, ''तुम्हारी बातें मस्तीभरी हैं।'' तुम अपना मोबाइल नम्बर दे दो ।कभी बेचेन हुआ तो तुम हँसा तो दोगी मुझे।यह सुनकर बरखा ने कहा, ''चलो, न कॉफी पीने चलते हैं। फिर दोनों कॉफ़ी पीने चले गये।'' बरखा और मनीष रोज हँसी मजाक करते हुए कब करीब हो गये यह मनीष भी नहीं समझ सका और एक दिन बरखा ने मनीष को बात करते सुना कि गोआ से मनीष के मम्मी पापा सुबह पांच बजे आ रहे हैं। यह बात चोरी से सुनकर बरखा ने प्लॉन बनाया। तभी मनीष का कॉल आया कि बरखा दो दिन तुम मेरे रूम पर मत आना मेरे मॉम डैड आने वाले हैं वह गलत समझ लेगें। मैं रेखा से मिलवाना चाहता हूं उनको तुम रेखा को ले आ सकती हो। हम दोनों तो अच्छे दोस्त है ना। यह सुनकर बरखा ने कहा हां बिल्कुल। अब बरखा ने सोचा कि रेखा को टॉपर स्टूडेंट हैं, बेहद खूबसूरत है, वह करोड़पति घर की बहू बन जायेगी और मैं...! मैं इस इकलौते करोड़पति लड़के मनीष और बेशुमार दौलत को नहीं छोड़ सकती। कुछ करना पड़ेगा। वह डायरेक्ट ब्यूटीपार्लर में पहुंचती है और खूबसूरत साड़ी और मेकअप वगैरह सब करके। रेखा को फोन करती है कि रेखा वह मनीष बहुत ही बुरा लड़का है और आज उसकी मंगनी है। तुम उसे भूल जाओ। यह सुनकर रेखा कहती है कि तुम झूठ बोल रही हो। तो बरखा कहती है कि तुम इस पते पर इस रूम नम्बर पर पहुंचो और खुद सारा सच देखो। इधर बरखा मनीष से कहती है कि अगर तुम्हें रेखा का सच जानना है तो इस पते पर इस रूम नम्बर पर इतने बजे पहुंचो। रेखा प्रेम से और गुस्से से भरी थी वह उस पते पर पहुंची और उस रूम को जैसे ही खटखटाया कि मुंह पर मास्क लगाये अक लड़के ने रेखा को अपनी तरफ खींच लिया और उसे कुछ नशीला पदार्थ सुंघा दिया तभी अचानक मनीष ने वह दरबाजा खोला तो रेखा उस लड़के के साथ.... वह बोला, ''धंधेवाली है साहब, पांच हजार में। तुम पैसा दो तो तुम्हारे लिये छोड़ दूं। मनीष चुपचाप बाहर निकल आया और गुस्से से बाईक चलाते हुए एक दूसरे लड़के की गाड़ी से बरखा ने उस मनीष का एक्सीडेंट करवा दिया और उसे पैसे देकर वहां से भगा दिया। फिर मनीष को ले जाकर अस्पताल पहुंची और मनीष को अपना खून देने लगी। यह सब मनीष के माता-पिता ने भी आकर देखा कि बरखा मनीष के लिए कितना कुछ कर रही है। फिर जैसे ही अगले दिन मनीष को होश आया तो मनीष के माता-पिता ने कहा कि मुझे तो मेरी बहू मिल गयी। तुम मना मत करना मनीष। इधर बरखा सोच रही थी कि अरे! बुड्ढों तुम दोनों को सालभर में स्लो पोइजन देकर कब ऊपर पहुंचा दूंगी तुम दोनों को पता ही नहीं चलेगा और पूरी प्रोपट्री की मालकिन मैं। यही सोच ही रही थी कि मनीष की मां ने अपने हाथ का डायमंड ब्रसलेट बरखा को पहना दिया। बस फिर क्या था मनीष कुछ बोल ही नहीं पाया। इधर मनीष की मंगनी हो रही थी और उधर उस होटल में पुलिस की रेड पड़ी थी जिसमें रेखा को पुलिस ने देहव्यापार के जुर्म में पकड़ लिया था और यह सब टीवी पर देखकर रेखा कि इज्ज़तदार मां ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी और पिता अपना मानसिक संतुलन खो बैठे और बरखा इज्ज़तदार करोड़पति परिवार की बहू बन गयी और रेखा को समाज रिश्तेदार व परिवार ने नहीं अपनाया और वह दुख में घर के बाहर बैठी रो रही थी कि वहां से गुजरते हुए एक किन्नर ने कहा, ''बहन, जिसे समाज नहीं अपनाता वो दर्द हम किन्नर बखूबी जानते हैं चलो मेरे साथ वरना कुछ इंसानीभेडिये तुम्हें नोंच खायेगें।'' और कुछ समय किन्नरों के बीच रहकर रेखा भी किन्नरों की तरह नाच गाकर पैसा कमाने लगी और एक बार किन्नरों के सम्मेलन में हिस्सा लेने वह गोआ जा पहुंची जहां वह किन्नरों के साथ मनीष के घर लड़का हुआ था के जश्न में जा पहुंची। जहां पर मनीष और उसकी पत्नी बरखा ने बीस हजार रूपये रेखा के हाथ पर रख दिए। जैसे ही मनीष ने पलट कर देखा कि यह रेखा? तो बरखा मनीष को जबरदस्ती घर के अंदर ले जाती हुई कहने लगी अरे! यार चौंक क्यों रहे हो? यह रेखा तो जन्मजात किन्नर थी तभी तो किन्नरों में शामिल हो गयी। मनीष ने कहा, ''मैं एक बार बात करूं?''

बरखा ने कहा, ''नहीं, तुम किन्नरों से दूर रहो।'' कुछ देर बाद सभी किन्नर वहां से जा चुके थे और रेखा गाड़ी मैं आंख बंद किये बस यही सोच रही थी कि आखिर! बरखा मनीष की पत्नी कैसे बन गयी? पर आज उसके पास सच समझाने वालीं न ही उसकी मां उसके पास थीं और न हीं उसके कोई दोस्त और न ही समाज के लोग? था तो सिर्फ़ पछतावा कि अगर मां कि बात मानी होती तो यह बरखा जैसी फ्रैंड (दोस्त) जिसमें ऐनेमी(शत्रु) छुपा हुआ था मुझे इस तरह धोखा देकर मेरे स्थान पर न बैठी होती। यह बरखा जैसे लोग फ्रेनेमी कहे जाते हैं। 



-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 

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