दौलतमंद (कहानी)- मौसमी चंद्रा

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# दौलतमंद

(कहानी)

रेण्डम क्लिक्स..मी ऑन टेरेस!

फ़ेसबुक खोलते ही अनन्या की तस्वीरों का एक पूरा बंच था।

हँसती ,खिलखिलाती,कहीं होठों का पाउच बनाकर,कहीं चाँद को देखती,कहीं दोनों हाथों को पंख की तरह पसारकर आसमान में उड़ने की तैयारी!

एक पर एक पोज़!

खूबसूरत भी इतनी  कि रात के 12 बजे भी पिक्चर ले तो वो भी माशाअल्लाह!

और एक हम है।एक अदद फ़ोटो के लिए शीशे के सामने अच्छी-खासी मशक़्क़त!

आये दिन उसका फ़ेसबुक एकाउंट भरा रहता,उसकी सतरंगी तस्वीरों से!



लेटेस्ट ड्रेसेस,लेटेस्ट शूज कलरफुल बालों में हर दिन नए रंग रूप के साथ!

लड़के जहां उसे देखकर आहें भरते,वहीं हम लड़कियां जलभुन जाती।कितनी लकी है एक तो बेपनाह खूबसूरत दूसरी दौलतमंद!हमें तो कई दिनों तक मम्मी की चिरौरी करनी पड़ती है  तब जाकर कुछ हटकर मिलता है।नहीं तो फिर वहीं तीज त्योहारों पर नए कपड़े।वो भी इस्टीमेट के अंदर।जरा भी हिसाब से बाहर हुआ दाम, की दुकान में ही मम्मी की आग्नेय दृष्टि!

पर एक ये है।अनन्या!कुछ लड़कियां तो अपनी भड़ास वाट्सअप फेसबुक पर उसे ब्लॉक करके निकाल लेती।पर मैं सोच भी नहीं सकती ऐसा करना।वजह.. वो मेरी दिल से फेवरेट है!

करीब 2 साल से देख रही हूं उसे।सोशल मीडिया पर छाई रहती।मम्मी पापा दोनों मल्टीनेशनल कंपनी में,ऊपर से अनन्या उनकी इकलौती सन्तान!रईसी तो होनी ही थी।

कमी किस बात की।

पर अचानक कुछ दिन उसकी कोई नई पोस्ट नहीं आयी।

करीब महीने दो महीने बिल्कुल लापता।फिर वापस से दिखी।शार्ट फ्रॉक और बूट्स पहने।पर चेहरे पर चमक कम।गहरे मेकअप के बाबजूद बुझी-बुझी आँखें।पहले से दुबली।किसी ने कॉमेंट में पूछा भी तो रिप्लाई था--

डाइट कंट्रोल..हेल्थ कॉन्सेस यू नो

पिक अपलोड किया भी तो रात के 3 बजे!

मुझे मिसिंग लगा कुछ।शायद उसकी स्माइल में।

उस दिन के बाद फिर वो दिखी नहीं।

एक दिन मैं कॉलेज से लौटते वक्त मेरी नज़र शॉप के बाहर एक डमी पर गयी।

बेहद खूबसूरत पिंक गाउन!

मैंने अपनी फ्रेंड को दिखाते हुए कहा--

--"देख न कितना सुंदर है.. सेम ऐसा ही गाउन अनन्या ने भी पहन रखा था।"

"कौन अनन्या?"

"वो फेसबुक वाली।तुम्हारी तो रिलेटिव भी है न दूर की।"

"ओह!वो!"

उसका नाम सुनकर वो उदास हो गयी।फिर धीरे से बोली--

"तुझे पता नहीं सुसाइड कर लिया उसने।"

"क्या!!!कब??"

"हाँ यार।पन्द्रह दिन हुए करीब।"

"पर क्यों क्या कमी थी उसे।"

"ज्यादा तो नहीं पता।पर  सुनने में आया कि सालभर से किसी लड़के से रिलेशन में थी..ब्रेकअप हो गया।खुद को संभाल नहीं पाई और नतीजा..."

"सिर्फ ब्रेकअप की वजह से जान दे दी।कितनी मोटिवेशनल बातें लिखती थी सोशल मीडिया पर।फिर इतनी छोटी सी बात पर सुसाइड।हज़म नहीं हो रहा।क्या कमी थी उसे इतनी रिच मम्मी पापा दोनों हाईप्रोफाइल!ऐसे लड़को की ढेर लगनी थी।"---मैं हैरान थी।

"यहीं तो प्रॉब्लम थी।मम्मी पापा दोनों हाईप्रोफाइल तभी बेटी के लिए समय नहीं था।किस मानसिक तनाव से जूझ रही थी उससे कोई मतलब नहीं।कुछ लोग भूल जाते हैं कि लक्ज़ेरियस और कम्फर्टेबल लाइफ से ज्यादा बच्चों को मम्मी-पापा के साथ कि दरकार होती है।बचपन से अनन्या ने बहुत अकेलापन झेला था।फिर उसने अपनी खुशी इन निर्जीव चीजों में ढूंढनी शुरू कर दी।पर प्यार में धोखा बर्दास्त न कर पाई।बहुत कोशिश की होगी उसने इससे बाहर आने की।काश कोई समझ पाता उसके अंदर क्या चल रहा है।कोई अपना होता जो उसके इमोशन स्ट्रेस को शेयर कर पाता।पर कोई नहीं था।वो अंदर ही अंदर घुलती रही और अंत में ..."

आगे के शब्द उसके कंठ में रह गए।

मैं खुद सदमे में थी।

घर में घुसते ही माँ ने मेरा उतरा चेहरा देखा।

"क्या हुआ बेटा उदास लग रही है?"

 "कुछ नहीं माँ"

-- बोलते हुए मेरी आँखें नम हो गयी।

 "अरे..!क्या हुआ बच्चा? सब ठीक तो है?अपनी माँ से नहीं कहेगी?"

  माँ के  प्यार भरे शब्द दिल में उतर गए।मैं माँ की कमर से लिपट गयी।आज खुद को दुनिया की सबसे दौलतमंद महसूस कर रही थी। हम सच में भाग्यशाली हैं जो हमें सुनने वाले लोग हमारे आसपास हैं...



-मौसमी चंद्रा
कवयित्री व कहानीकार
पटना,बिहार
  ★★★★★★


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