सबकी मधुर जुबान है हिन्दी (कविता)-श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
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# सबकी मधुर जुबान है हिन्दी#
भारत मां के भव्य भाल की
अरुणिम ललित ललाम है बिन्दी।
भारत के गौरव गरिमा का,
एक मधुरतम गान है हिन्दी।
भारत अपना दिव्य कलेवर,
उस तन का शुचि प्राण है हिन्दी।
भिन्न भिन्न हैं जाति धर्म पर,
सबकी मधुर जबान है हिन्दी।
अलग-अलग पहनावे बोली,
लेकिन सबका मान है हिन्दी।
हर भारत वासी की समझो,
आन बान औ' शान है हिन्दी।
इसमें है अभिव्यक्ति कुशलता,
भारत की पहचान है हिन्दी।
भारत की पहचान अस्मिता,
और सदा सम्मान है हिन्दी।
प्रगति हमारी समझो इससे,
भारत का उत्थान है हिन्दी।
हिन्दी का समृद्ध व्याकरण,
अक्षर,स्वर विज्ञान है हिन्दी।
-©श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'
व्याख्याता-हिन्दी
अशोक उ०मा०विद्यालय,
लहार,भिण्ड,म०प्र०
★★★■★★★
बहुत ही खूबसूरत कविता
जवाब देंहटाएंHa
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कविता
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