कलाम (कविता)- डॉ. भगवान सहाय मीना
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# ★कलाम★#
हिन्दू के भगवान थे, मुस्लिम के रहमान थे।
इक वो कलाम थे, भारत की पहचान थे।
जीवन के पल-पल, क्षण-क्षण देश के नाम थे।
हिन्दुस्तान की सेवा ही, बस उनके अरमान थे।
इक वो कलाम थे, भारत की पहचान थे।
पोकरण में कर धमाका, दुनिया को दिखलाये थे।
अग्नि, पृथ्वी, नाग के जनक, वो भारत के लाल थे।
इक वो कलाम थे, भारत की पहचान थे।
एक हाथ में गीता, उनके एक हाथ कुरान थी।
मज़हब की मिशाल, वे भारत के भगवान थे।
इक वो कलाम थे, भारत की पहचान थे।
था अजब नजारा, जब वे चिर निद्रा में सोये थे।
हिन्दू या मुस्लिम ही नहीं, पूरे भारतवासी रोये थे।
इक वो कलाम थे, भारत की पहचान थे।
हिन्दू के भगवान थे, मुस्लिम के रहमान थे।
इक वो कलाम थे, भारत की पहचान थे।
-©डॉ. भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदम पुरा,जयपुर,राजस्थान
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