मणिमय भारत (कविता)- नवल किशोर सिंह

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# मणिमय भारत देश हमारा#


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भूमंडल में सबसे न्यारा ।
मणिमय भारत देश हमारा ।।

आर्षजनों की धरा सुहावन।
सत्य सनातन प्रज्ञा पावन ॥
सकल भुवन में गूँज अपरिमित,
अनुनादित अमिरस ओंकारा ।
मणिमय भारत देश हमारा ॥

दीप्ति दिव्य मेधा में जागे ।
बनकर तुरग तिमिर तम भागे ॥
अरुण किरण फूटे पूरब में,
फैले अग-जग में उजियारा ।
मणिमय भारत देश हमारा ॥

मणिमय भारत देश हमारा ॥


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साभार- रीतेश

विद्रुम वैभव कनक कलश से ।
पुलक पात नित सिद्धि हुलस से ॥
स्वयं रमा रमकर करती है,
नित वैभव का जहाँ निहारा।
मणिमय भारत देश हमारा ॥

हिमगिरि उन्नत सिर नभतल में।
सागर सविनय है पगतल में।
अभिसिंचित करती है हरदम
कलकल सुरसरि अमरित-धारा।

मणिमय भारत देश हमारा ॥



-©नवल किशोर सिंह
  तिरुचि, तमिलनाडु
    15-08-2020

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