ग़ज़ल - प्रेम बजाज
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किया सब्र बहुत अब ना हमें करना है
तोड़ कर हद को, हद से हमें गुज़रना है ।
संगम सवेरा वेब पत्रिका
#ग़ज़ल#
किया सब्र बहुत अब ना हमें करना है
तोड़ कर हद को, हद से हमें गुज़रना है ।
ना जाओ छोड़ कर यूं प्यासा मुझको
तेरे प्यार का सरूर दिल में हमें भरना है ।
बहुत तरसा किए दूर से कर के नज़ारा
अपनी आगोश में चांद हमें भरना है ।
इशक-ए-जूनून बढ़ रहा है अब तो हद से
तेरी बाहों में टूट कर हमें बिखरना है ।
छुपाया था अब तक इस प्यार को" प्रेम"ने
अब तो सरेआम इश्क हमें करना है ।
-©प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर )
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