रक्षाबंधन (कविता)- विक्रम साहू
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# रक्षाबंधन#
भावनाओं के सागर में डूबा
पावन सुंदर मनोहारी त्यौहार
आनंदित हृदय स्नेही मन
रहे तैयार सज धज कर बहना
स्वागत को आतुर भाई
दृढ़ विश्वास की परंपरा
रानी कर्मावती ने राखी
हुमायूं को भेज बचाया मेवाड़
विष्णु जी को मुक्त कराया
लक्ष्मी जी ने राखी बांध
राजा बलि को बनाया भाई
रूठी बहना को मनाता
नित नए उपहार देता
धमाचौकड़ी संग में करते
करुणा की चाबी बहना
खुशियों का ताला भाई
पवित्र बंधन भाई बहन का
जग में निराला समर्पण
निर्भय निश्चल अविरल
रक्षा स्वरूप राखी बांधते
रक्षा बंधन मनाते बहन - भाई ।
-विक्रम साहू
भोपाल,मध्य प्रदेश
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