वर्षा ऋतु (कविता)- कल्पना सिंह

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          #वर्षा ऋतु#

हरियाली चहुं ओर है छाई,
मनभावन वर्षा ऋतु आयी।

काले काले घन नभ में छाए,
बूंदों के संग अमृत बरसाएं।

पर्वत से निर्झर झरने हैं बहते,
शिव का रुद्राभिषेक है करते।

वृक्ष,लताएं,बेल और पाती,
रिमझिम बारिश में हर्षाती।

ताल तलैया सब उफनाते,
जन जन को हैं खूब लुभाते।

खगवृंद का कलरव अतिशय भाता,
मन में उल्लास - उमंग भर जाता।


कल्पना

--©कल्पना सिंह
पता:आदर्श नगर, बरा, रीवा ( मध्यप्रदेश)

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