स्वतंत्रता दिवस (कविता)- डॉ सतीश कुमार
# स्वतंत्रता दिवस#
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पंद्रह अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं।
इसका जीवन में बहुत बहुत महत्व बताते हैं।।
सोमनाथ के आक्रमण से जो विदेशी ललचाये थे।
दास, खिल्जी, तुगलक, सैयद, लोधी तक आये थे।।
लोधी को हरा मुगलों ने अपना अधिकार जमाया।
भारत देश की संस्कृति, इतिहास कठिन काल बताया।।
सोलह सौ में फिर ईस्ट इंडिया कंपनी भारत आई।
धीरे-धीरे पुरे देश पर अपना अधिकार जमा पाई।।
अठारह सौ सतावन में मंगल पांडे जी ने लोह जलाई।
धीरे-धीरे वह लोह एक सशक्त आन्दोलन रुप पाई।।
रानी लक्ष्मीबाई, तांत्या टोपे ने दिया अमर बलिदान।
लाखों वीर जवानों ने स्वतंत्रता का किया प्रयास महान।।
अंग्रेजी शासन ने जनता पर जो कहर बरपाया था।
बंग भंग कर साम्प्रदायिकता का जहर फैलाया था।।
उस आग ने देश को खतरनाक तरह झुलसाया था।
अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग में कहर बरपाया था।।
गाँधी, नेहरू, लाल, बाल पाल ने आन्दोलन चलाया।
भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव ने बलिदान दे निभाया।।
अशफाक उल्ला खान, आजाद ने दिया अमर बलिदान।
नेता सुभाष चन्द्र बोस ने बना सेना काम किया महान।।
अनगिनत जवानों ने जब सर्वस्व दे अलख जलाई।
तब जाकर पंद्रह अगस्त सैंतालिस को आजादी पाई।।
सबकी कुर्बानी से यह स्वतंत्रता हमने पाई है।
संक्षेप में उन सब वीरों की महिमा कह सुनाई है।।
डाॅ सतीश कुमार सदा नमन तिरंगे को करता है।
अनगिनत बलिदानियों के चरणों में शीश धरता है।।
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-©डाॅ सतीश कुमार
भगवान परशु राम काॅलज
कुरुक्षेत्र हरियाणा
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