मुश्किल में मुस्काना सीखो (कविता)- शिव सन्याल
# मुश्किल में मुस्काना सीखो#
चुटकी में हल ढूँढ निकालो,
राह अपनी आसान बना लो।
धैर्य , संयम, हिम्मत के बल,
सोच समझ कर कदम बढ़ा लो।
पीछे बीती बीत गई अब,
अगली सोच बनाना सीखो।
हो पीड़ा मन भीतर फिर भी,
मुश्किल में मुस्काना सीखो।
शूरवीर के पथ में काँटे,
फूल समझ डग भरता जाता।
औरों के दुख दर्द देख के,
अपनें मन में नहीं घबराता।
समझ पीड़ा सब की अपनी,
अपनी जान लुटाना सीखो।
हो पीड़ा मन भीतर फिर भी,
मुश्किल में मुस्काना सीखो।
है चट्टानों से टकरा के,
देख सरिता बहती जाती।
लहर लहर उठी सागर में,
तट से है वह जा टकराती।
पथ से विचलित कभी न होती,
सरिता संग बह जाना सीखो।
हो पीड़ा मन भीतर फिर भी
मुश्किल में मुस्काना सीखो।
साध निशाना मंजिल अपनी,
है उत्साही तीर चलाते।
मुश्किल काम सभी हैं होते।
करने पर सुगम बन जाते।
हाथों में हाथ लिए सभी का,
मिल कर कदम बढ़ाना सीखो।
हो पीड़ा मन भीतर फिर भी
मुश्किल में मुस्काना सीखो।
-©शिव सन्याल
गां.डा.मकडा़हन
ज्वाली कांगड़ा हि.प्र
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