स्वतंत्रता दिवस (कविता)- सुखविंद्र सिंह मनसीरत

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***स्वतंत्रता दिवस***

स्वतंत्रता याद दिलाती हमें शमां में जले परवानों की
जो शहीद हुए देश खातिर वीर शमशीर बलवानों की


india

राजगुरू, सुखदेव,भगत सिंह जो थे चढती जवानी में
हँसते हुए सूली चढे भारत देश को आजाद कराने में
वीरता से धज्जियाँ उड़ाई थी अंग्रेजों के फरमानों की
जो शहीद हुए देश खातिर वीर शमशीर बलवानों की


शहीद

हिन्द बाँकुरे मलखानों ने फिरंगियों को धूल चटाई थी
बहुमूल्य जाने गवां कर के अमूल्य आजादी पाई थी
देश पर कुर्बान हुए शहीद रणबांकुरे अमर जवानों की
जो शहीद हुए देश खातिर वीर शमशीर बलवानों की

मौत को ही दुल्हन बना कर खुद के गले लगाया था
शहादत के बदले में यारो देश को आजाद कराया था
जो अमर हुए देशभक्त उन आजादी के दीवानों की
जो शहीद हुए देश खातिर वीर शमशीर बलवानों की

मनसीरत भूला न पाएंगे हम शहीदों की शहादत को
देश सदैव याद रखेगा उनकी बेशकीमती इबादत को
कुर्बान हुए जो क्रांतिकारी अजर अमर मलखानों की
जो शहीद हुए देश खातिर वीर शमशीर बलवानों की

स्वतंत्रता याद दिलाती हमें शमां में जले परवानों की
जो शहीद हुए देश खातिर वीर शमशीर बलवानों की

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-©सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
सुखविंद्र सिंह मनसीरत

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