तुच्छ भावपुष्प:- मन को आह्लादित करने वाला आह्लाद का यह आकर्षक विशेषांक हमें और भी आह्लादित करता -सा प्रतीत हो रहा है,गौरवान्वित कर रहा है कारण है इसके मुख्य पृष्ठ की परिकल्पना हमारे इस प्यारे,दुलारे भारतदेश की शान तिरंगे के रंगों का समावेश । उत्कृष्ट भाषाशैली, साहित्य ब्रह्माण्ड के परम तपस्वी मनीषियों के मुखारवृन्द से प्रस्फुटित आशीर्वचनों से अभिषिक्त जुलाई माह का यह अंक साहित्य पिपासुओं के पिपासा को तृप्त करने में पूर्णतः सक्षम है। आह्लाद एक संज्ञा है जो पुल्लिंग शब्द है जिसका आशय ही है आनंद ,चिदानंद,परमानंद और यह पत्रिका भी आपको इस भाँति ही आनंद प्रदान करती-सी प्रतीत होगी। इस पत्रिका का मूल उद्देश्य ही है साहित्य कल्याण ,यहाँ साहित्य कल्याण से मेरा आशय है समस्त विश्व को उस साहित्य का रसास्वादन कराना,अखिल साहित्य ब्रह्माण्ड,चराचर साहित्य जीव जगत को ज्ञान की उस प्रकाशपूँज को प्रदान करना जो अनंतकाल तक साहित्य के प्रति मानसिकता को स्वस्थ रख इसे और भी प्रखर करती रहे।
आह्लाद उस जिज्ञासा का प्रतिफल है,*ज्ञातुम इच्छसि के निहित भाव से उत्पन्न उस भांति का रत्नगर्भ है जिसका जल कुछ सीमा तक खारा तो होता है परन्तु वह हमारे मानसपटल को प्रखर करता रहता है क्योंकि उसमें आयोडीन का समावेश होता है। इस आह्लाद भी हैं आपको कुछ सीमा तक उस भांति का आभास होगा,साथ ही इसमें आप वैसे गुणी-मनीषियों की तपस्या का दर्शन होगा जो निरन्तर ही अपने हजारों वर्षों के तपस्या के प्रतिफल स्वरूपी सृजन को असाहित्यिक विचारों के पोषको को महान तपस्वी दधीचि की भाँति ही अपने अंकनी से प्रवाहित सृजन स्वरुपी अस्थियों को साहित्य कल्याणार्थ सौंपते आए हैं। अन्त में ऐसे महान परोपकारी परम तपस्वियों को और उनके महाकल्याणी कृत्यों को नमन करते हुए आह्लाद पत्रिका को व प्रधान संपादिका व समस्त गुरुजनों को जिन्होंने इसे हमारे लिए उपलब्ध कराने के लिए अनवरत परिश्रम किया है नमन करते हुए अपनी असीम शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ:- *मेरी मंगल कामना,ये तुझको आह्लाद। तप सदा करते रहो,भक्त बनो प्रह्लाद।।
भारत भूषण पाठक धौनी(शुम्भेश्वरनाथ) जिला-दुमका(झारखण्ड) लेखनी नाम-भारत भूषण पाठक"देवांश"
तुच्छ भावपुष्प:-
जवाब देंहटाएंमन को आह्लादित करने वाला आह्लाद का यह आकर्षक विशेषांक हमें और भी आह्लादित करता -सा प्रतीत हो रहा है,गौरवान्वित कर रहा है कारण है इसके मुख्य पृष्ठ की परिकल्पना हमारे इस प्यारे,दुलारे भारतदेश की शान तिरंगे के रंगों का समावेश ।
उत्कृष्ट भाषाशैली, साहित्य ब्रह्माण्ड के परम तपस्वी मनीषियों के मुखारवृन्द से प्रस्फुटित आशीर्वचनों से अभिषिक्त जुलाई माह का यह अंक साहित्य पिपासुओं के पिपासा को तृप्त करने में पूर्णतः सक्षम है।
आह्लाद एक संज्ञा है जो पुल्लिंग शब्द है जिसका आशय ही है आनंद ,चिदानंद,परमानंद और यह पत्रिका भी आपको इस भाँति ही आनंद प्रदान करती-सी प्रतीत होगी।
इस पत्रिका का मूल उद्देश्य ही है साहित्य कल्याण ,यहाँ साहित्य कल्याण से मेरा आशय है समस्त विश्व को उस साहित्य का रसास्वादन कराना,अखिल साहित्य ब्रह्माण्ड,चराचर साहित्य जीव जगत को ज्ञान की उस प्रकाशपूँज को प्रदान करना जो अनंतकाल तक साहित्य के प्रति मानसिकता को स्वस्थ रख इसे और भी प्रखर करती रहे।
आह्लाद उस जिज्ञासा का प्रतिफल है,*ज्ञातुम इच्छसि के निहित भाव से उत्पन्न उस भांति का रत्नगर्भ है जिसका जल कुछ सीमा तक खारा तो होता है परन्तु वह हमारे मानसपटल को प्रखर करता रहता है क्योंकि उसमें आयोडीन का समावेश होता है।
इस आह्लाद भी हैं आपको कुछ सीमा तक उस भांति का आभास होगा,साथ ही इसमें आप वैसे गुणी-मनीषियों की तपस्या का दर्शन होगा जो निरन्तर ही अपने हजारों वर्षों के तपस्या के प्रतिफल स्वरूपी सृजन को असाहित्यिक विचारों के पोषको को महान तपस्वी दधीचि की भाँति ही अपने अंकनी से प्रवाहित सृजन स्वरुपी अस्थियों को साहित्य कल्याणार्थ सौंपते आए हैं।
अन्त में ऐसे महान परोपकारी परम तपस्वियों को और उनके महाकल्याणी कृत्यों को नमन करते हुए आह्लाद पत्रिका को व प्रधान संपादिका व समस्त गुरुजनों को जिन्होंने इसे हमारे लिए उपलब्ध कराने के लिए अनवरत परिश्रम किया है नमन करते हुए अपनी असीम शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ:-
*मेरी मंगल कामना,ये तुझको आह्लाद।
तप सदा करते रहो,भक्त बनो प्रह्लाद।।
भारत भूषण पाठक
धौनी(शुम्भेश्वरनाथ)
जिला-दुमका(झारखण्ड)
लेखनी नाम-भारत भूषण पाठक"देवांश"
सादर धन्यवाद
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