मुंशी प्रेमचंद (दोहे)- रामजस त्रिपाठी नारायण
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🌷आ0 रामजस त्रिपाठी नारायण जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई।🌷
*मुंशी प्रेमचंद जी के जयंती पर विशेष*
*उपन्यास सम्राट, मुंशी प्रेमचंद जी की जन्म जयंती पर आप सभी साहित्यकार साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं*।*-नारायण*
गरीब, गरीबी, कृषक,श्रमिक,भ्रांति, कुरीतियां, स्त्री, सेठ, जमींदार को लेखन के केंद्र में रखकर मध्यवर्गीय समाज की विडंबनाओं का यथार्थ परोसने में सफल साहित्यकार, श्रेष्ठ कथा व उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद जी को (जन्म दिवस 31 जुलाई1980) नमन करते हुए चंद दोहे समर्पित करता हूँ।
(यह एक संयोग ही है कि , वे इस अकिंचन से 104वर्ष पूर्व जन्म लिए थे।)🙂🙂🙂🙂🙂🙂🕉🙏
साहित्यिक कुनबा करें जिनका अति सत्कार।
वे है मुंशी प्रेमचँद, कथा कहानी कार।।
उपन्यास सम्राट को, नमन करूँ शत् बार।
जिनका शानी है नहीं, साहित्यिक संसार।।
प्रेमचंद जी लिख दिए, जो कुछ दिखा समाज।
मध्य वर्ग का दर्द सब, दिए लेख में साज।।
कथा जगत के सूर्य को, नमन करूँ मैं आज।
जिनको पढ़कर हो रहा, विकसित आज समाज।।
रंगभूमि अरु निर्मला, पढ़िए गबन गोदान।
प्रेमचंद की सब कथा, देती है बहु ज्ञान।।
नमक दरोगा को पढ़े, अरु गफूर, बलिदान।
हीरा मोती प्रेममय, खोले दृष्टि महान।।
-© पं रामजस त्रिपाठी नारायण
वाराणसी उ प्र
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