दैनिक श्रेष्ठ सृजन-03/03/2020(के आर कुशवाह हंस)
www.sangamsavera.in
संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
दैनिक श्रेष्ठ सृजन-03/03/2020
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ🌷🌻🌹
श्रेष्ठ रचनाकार- आo के० आर० कुशवाह "हंस" जी
एवं
श्रेष्ठ टिप्पणीकार- आo वंदना सोलंकी जी
3 मार्च 2020
शीर्षक-अवतार (छंद)
कुंडलियां
भारत की ये बेटियाँ,
लगती हैं लाचार।
बढ़ती अति हैवानियत,
ले लो प्रभु अवतार।।
ले लो प्रभु अवतार,
वासना के सब कीड़ा।
बेटीं हैं बेहाल,
दुष्ट देते अति पीड़ा।।
कहे हंस कविराय,
ओट लेते चाहत की।
शासक भी हैं मौन,
दशा बिगड़ी भारत की।।
2.
सतयुग द्वापर में हुआ,
नारी का अपमान।
लाज बचाने के लिए,
आते थे भगवान।।
आते थे भगवान,
वेदना हरते सारी।
आज बुरा है हाल,
उजड़ती हर फुलवारी।।
कहे हंस कविराय,
राम ये कैसा कलियुग।
रहे दरिंदे घूम,
न आने देते सतयुग।।
--- के० आर० कुशवाह "हंस"
Post a Comment