दैनिक श्रेष्ठ सृजन-24/02/2020(प्रमोद पांडेय)
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संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
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दैनिक श्रेष्ठ सृजन
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ🌷🌻🌹
श्रेष्ठ रचनाकार- आ0 प्रमोद पांडेय जी
एवं
श्रेष्ठ टिप्पणीकार- आ0 सुनील कुमार जी
24 फरवरी 2020
शीर्षक-नीर (कविता)
मैं सोचता हूँ शायद कविता तभी बनेगी,
जब स्वच्छ होंगी गंगा निर्मल हो नीर धारा।
मतकर ऐ मूरख गन्दा गंगा की स्वच्छता को,
है स्वर्ग से भगीरथ ने आज ही पुकारा।।
राजा सगर के पुत्रों जरा नीचे आके देखो,
क्या रूप हो गया है जिस नीर ने है तारा।
पक्षी भी रो रहे हैं वृक्षों की सुनलो बातें,
ये कह रहे हैं शायद इन्सानियत सिधारा।।
गंगा को स्वर्ग से जब लाने की बात आई,
कितनी ही मन्नतों संग भगीरथ ने था पुकारा।
जब नीर न रहेगा गंगा का साफ भाई,
तो जी नहीं सकोगे जो ख्वाब है तुम्हारा।।
श्रद्धा हमारी कहती ये नीर जादुई है,
गंगा ही पतित पावनी विश्वास है हमारा।
है कृष्णप्रेमी कहता अब भी समय है भाई,
गंगा को स्वच्छ कर लो जो नीर है हमारा।।
भरी अँखियाँ बरसे नीर, चाहे खुशी चाहे पीर।
हौसला ना छोड़ो सखी,
श्याम आयें यमुना तीर।।
पाँच तत्व मिलकर काया, प्रभु जी की है ये माया।
धरा नीर अग्नी वायू, गगन ने इसको बनाया।
आत्मा की परछाईं जब, पड़ जाये तो प्राण वीर।
भरी अँखियाँ बरसे नीर, चाहे खुशी चाहे पीर।।
रहिमन की बातें न्यारी, समझे तो हो आचारी।
पानी है जीवन रानी, बिन पानी हो लाचारी।
मोती मानुष चूना सब, सूखल जाई बिना नीर।
भरी अँखियाँ बरसे नीर, चाहे खुशी चाहे पीर।।
-@प्रमोद पाण्डेय
"कृष्णप्रेमी"
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