दैनिक श्रेष्ठ सृजन-10/02/2020(स्नेहलता द्विवेदी)
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संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
दैनिक श्रेष्ठ सृजन-
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ🌷🌻🌹
श्रेष्ठ रचनाकार- आ0 स्नेहलता द्विवेदी जी
एवं
श्रेष्ठ टिप्पणीकार- आ0 रिपुदमन झा पिनाकी जी
(दोनों सम्मान-पत्र इसी लिंक पर उपलब्ध है)
दिनांक--10/02/2020
विधा--कविता
विषय---मन की व्यथा
अंतर्मन की पीड़ा को मैं
कैसे तुमको समझाऊँ?
तुम पास जो बैठे हो मेरे,
मैं सब कुछ सहज भुला जाऊँ।
कुछ व्यथा कथा कहनी भी है, कुछ व्यथा कथा सुननी भी है। कुछ उर के गहरे जख्मों को,
खुद सहकर चुप रहना भी है।
क्यों विधना नें यह काम किया? मानुष तन में मन साथ किया। दिल देकर फिर क्यों दर्द दिया? दर्दों संग जीवन स्वर्ग किया।
कुछ व्यथा पराई ही अच्छी,
कुछ व्यथा भलाई की अच्छी। कुछ व्यथा प्रेम की है सच्ची,
कुछ व्यथा जो उसकी है अच्छी।
इक मानुष ठिठुर रहा पग में,
एक मानुष बिलखता मधुवन में, व्यथा है दोनों की सुन लो,
क्या सम या विषम है जीवन में?
-@स्नेहलता द्विवेदी।
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