दैनिक श्रेष्ठ सृजन-04/02/2020 (रामगोपाल श्रीवास)
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संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
दैनिक श्रेष्ठ सृजन-04/02/2020
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ🌷🌻🌹
श्रेष्ठ रचनाकार- आ0 रामगोपाल श्रीवास जी
एवं
श्रेष्ठ टिप्पणीकार- आ0 राजेन्द्र सिंह जी
(दोनों सम्मान-पत्र इसी लिंक पर उपलब्ध है)
04/02/2020
कविता
यति गति लय सुर ताल सब,रहें छंद के अंग ।
भाषा भाव प्रमुख रहे, मात्राओं के संग ।।
कविता भाव प्रबोधनी , रहें हृदय उद्गार ।
जनहित की हो भावना ,शब्द -शब्द में सार ।।
कविता सरिता सी बहे , कहीं धीर गंभीर ।
अमिधा,लक्षणा,व्यंजना,कल-कल बहता नीर ।।
काया कंचन कामिनी, काम कोटि कचनार ।
अलंकार परिपूर्ण हो , कविता का श्रृंगार ।।
रसानंद मकरंद जस , नव रस चले बयार ।
शीतल मंद सुगंध तब , छेड़े मन के तार ।।
डर से कभी डरी नही ,आँधी हो तूफान ।
शब्दों में भी आग है ,कविता लिखे प्रदान ।।
कलम करे उस शीश का,रहे कलम अवतार ।
बिना ढाल तलवार के , करता अत्याचार ।।
सत्य राह कविता चले, गिरे मुकुट अरु छत्र ।
वरदाई कविता लिखी, शीश गिरा फिर यत्र ।।**
कविता छंद प्रबंध मति, सम रस पूर्ण तुकांत ।
रहिये कविता प्रेम से, मुखड़ा भाव पदांत ।।
** चार बाँस चौबीस गज,अंगुल अष्टम प्रदान ।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ।।
" कवि चंद्र वरदाई "
स्वरचित
रामगोपाल 'प्रयास 'गाडरवारा मध्य प्रदेश
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