दैनिक श्रेष्ठ सृजन-23/01/2020 (डॉ राजेन्द्र सिंह राही)
www.sangamsavera.in
संगम सवेरा पत्रिका
संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
23 जनवरी 2020
शीर्षक- "सुभाष चंद्र बोस जयंती"
था दौर गुलामी का जब-तब,
इस देश सुभाष कटक आये।
थे जानकीनाथ वकील पिता
माता प्रभावती के हृदय भाये।
अतितीव्र विवेक के बालक थे,
आईसीएस को भी पास किया।
अंग्रेज़ की दूषित मानसिकता ,
अपमान का न एक घूँट पिया।
मानस में बसे थे विवेकानन्द,
पदचिह्न पर चलने का सपना।
करने के निमित्त स्वतंत्र वतन,
सब त्याग दिया जो था अपना ।
आजाद हिंद का करके गठन,
अंग्रेज के दांत को खट्टा किया।
भारत मां का यह लाल निडर,
उनको जवाब पत्थर से दिया।
ललकार से कंपित बैरी सभी,
अन्तस् में वतन गूँजा नारा
सब तत्पर लेकर बढ़ने लगे,
हाथों में लहू अपना सारा.।
हुंकार हुई जब दिल्ली चलो,
एक ज्वार नसों में दौड़ गया।
धन्य सुभाष जी देश प्रिय,
इतिहास लिखा जिसने नया।
नेता जी हुए विख्यात जगत ,
साहस अद्वितीय सम्मान बने।
स्वतंत्र हुआ जब देश ब्रिटिश,
तुम देश हृदय अभिमान बने।
यह धन्य थरा पाकर तुमको,
हो रहा चतुर्दिक यह जयघोष,
यह वीर पुत्र भारत माँ का
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस।
-@ डाॅ. राजेन्द्र सिंह "राही"
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
दैनिक श्रेष्ठ सृजन-23/01/2020
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ🌷🌻🌹
श्रेष्ठ रचनाकार- आ0 डॉ राजेन्द्र सिंह राही जी
एवं
श्रेष्ठ टिप्पणीकार- आ0 मान बहादुर सिंह जी
23 जनवरी 2020
शीर्षक- "सुभाष चंद्र बोस जयंती"
था दौर गुलामी का जब-तब,
इस देश सुभाष कटक आये।
थे जानकीनाथ वकील पिता
माता प्रभावती के हृदय भाये।
अतितीव्र विवेक के बालक थे,
आईसीएस को भी पास किया।
अंग्रेज़ की दूषित मानसिकता ,
अपमान का न एक घूँट पिया।
मानस में बसे थे विवेकानन्द,
पदचिह्न पर चलने का सपना।
करने के निमित्त स्वतंत्र वतन,
सब त्याग दिया जो था अपना ।
आजाद हिंद का करके गठन,
अंग्रेज के दांत को खट्टा किया।
भारत मां का यह लाल निडर,
उनको जवाब पत्थर से दिया।
ललकार से कंपित बैरी सभी,
अन्तस् में वतन गूँजा नारा
सब तत्पर लेकर बढ़ने लगे,
हाथों में लहू अपना सारा.।
हुंकार हुई जब दिल्ली चलो,
एक ज्वार नसों में दौड़ गया।
धन्य सुभाष जी देश प्रिय,
इतिहास लिखा जिसने नया।
नेता जी हुए विख्यात जगत ,
साहस अद्वितीय सम्मान बने।
स्वतंत्र हुआ जब देश ब्रिटिश,
तुम देश हृदय अभिमान बने।
यह धन्य थरा पाकर तुमको,
हो रहा चतुर्दिक यह जयघोष,
यह वीर पुत्र भारत माँ का
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस।
-@ डाॅ. राजेन्द्र सिंह "राही"
Post a Comment