दैनिक श्रेष्ठ सृजन-17-01-2020 (उमाकांत यादव)
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संगम सवेरा पत्रिका
संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
17 जनवरी 2020
शीर्षक-"गुरु-शिष्य परम्परा"
गुरु पढ़ावत रह गये, गये छात्र अकुलाय।
नेट के हाथ मिट रहे, कक्षा में मच गयी हाय।।
न वो शिष्य , गुरु रहें, न गुरुकुल विद्यालय।
जंगल झाड़ी ना रहें, न ही वैध हिमालय।।
मोबाइल से चित्त घटा, घटा सारा ध्यान।
पढ़ रहा सारा जग है, मिला न खोजी ज्ञान।।
शीश झुकाये पथ मिले, मिले गुरु का ज्ञान।
ज्ञान झुकाये शिष्य को, मिले धन और मान।
शिष्य धरा का शेर दिखें, दिखें गुरु दहाड़।
जपे कृपा इनकी हुयी, तिल से बनें पहाड़।।
@उमाकान्त यादव उमंग
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
E-mail-vishvsahityasangam@gmail.com
दैनिक श्रेष्ठ सृजन
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 उमाकांत यादव जी
17 जनवरी 2020
शीर्षक-"गुरु-शिष्य परम्परा"
गुरु पढ़ावत रह गये, गये छात्र अकुलाय।
नेट के हाथ मिट रहे, कक्षा में मच गयी हाय।।
न वो शिष्य , गुरु रहें, न गुरुकुल विद्यालय।
जंगल झाड़ी ना रहें, न ही वैध हिमालय।।
मोबाइल से चित्त घटा, घटा सारा ध्यान।
पढ़ रहा सारा जग है, मिला न खोजी ज्ञान।।
शीश झुकाये पथ मिले, मिले गुरु का ज्ञान।
ज्ञान झुकाये शिष्य को, मिले धन और मान।
शिष्य धरा का शेर दिखें, दिखें गुरु दहाड़।
जपे कृपा इनकी हुयी, तिल से बनें पहाड़।।
@उमाकान्त यादव उमंग
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