दैनिक श्रेष्ठ सृजन-16-01-2020 (ज्योति अग्निहोत्री)
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संगम सवेरा पत्रिका
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दैनिक श्रेष्ठ सृजन
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
16 जनवरी 2020
शीर्षक- "खयाली पुलाव"
(हास्य रस)
खयाली पुलाव एक ऐसा अलाव होता है,
जिसमें हकीकत से ज़्यादा कल्पना का मज़ा होता है।
कल्पना के कड़ाव में
ख्वाबों के पकवान सिकते हैं।
गर कवि हैं तो आह और वाह,
के साथ मज़े में बिकते हैं ।
कोसों दूर हैं जो कीर्तिमान,
वो भी अपनी ही झोली में दिखते हैं।
बेज़ार सी ज़िन्दगी के लिए,
ये ही तो ज़िंदादिली से सिकते हैं।
खयाली पुलाव एक ऐसा अलाव होता है, जिसमें हकीकत से ज़्यादा कल्पना का मज़ा होता है।
दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की के लिए,
कल्पना की हकीकी में तब्दीली के लिए।
खयाली पुलाव में मेहनत का छौंक ज़रूरी है...
रूखी सी इस ज़िन्दगी में कभी- कभी,
खयाली पुलाव भी जरूरी है।
-@ज्योति अग्निहोत्री
इटावा, उत्तर प्रदेश।
शीर्षक- "खयाली पुलाव"
(हास्य रस)
खयाली पुलाव एक ऐसा अलाव होता है,
जिसमें हकीकत से ज़्यादा कल्पना का मज़ा होता है।
कल्पना के कड़ाव में
ख्वाबों के पकवान सिकते हैं।
गर कवि हैं तो आह और वाह,
के साथ मज़े में बिकते हैं ।
कोसों दूर हैं जो कीर्तिमान,
वो भी अपनी ही झोली में दिखते हैं।
बेज़ार सी ज़िन्दगी के लिए,
ये ही तो ज़िंदादिली से सिकते हैं।
खयाली पुलाव एक ऐसा अलाव होता है, जिसमें हकीकत से ज़्यादा कल्पना का मज़ा होता है।
दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की के लिए,
कल्पना की हकीकी में तब्दीली के लिए।
खयाली पुलाव में मेहनत का छौंक ज़रूरी है...
रूखी सी इस ज़िन्दगी में कभी- कभी,
खयाली पुलाव भी जरूरी है।
-@ज्योति अग्निहोत्री
इटावा, उत्तर प्रदेश।
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