दैनिक श्रेष्ठ सृजन- 08/01/2010 (सूर्यदीप कुशवाहा)

www.sangamsavera.in
 संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
E-mail-vishvsahityasangam@gmail.com
दैनिक श्रेष्ठ सृजन
संपादक (दैनिक सृजन) - वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 सूर्यदीप कुशवाहा जी
8 जनवरी 2020 .
 शीर्षक- नागरिकता संविधान पर सवाल क्यों ?
 विधा - परिचर्चा ।
     (आज देश में नागरिकता पर खूब पक्ष व विपक्ष में तर्क दिए जा रहे है |अमूमन इसके विरोध के स्वर ज्यादा मुखर हुए |इसी विषय पर परिचर्चा की एक नन्हीं कोशिश.... )
 अमर - अरे ! सलीम भाई क्या हुआ, काहे उदास हो भाई? 
 सलीम - कुछ नाही मियां, बहुत डर लग रहा है । देश में जो हालात  बन रहे हैं इस समय। 

अमर - हाँ, भाई चिंता तो मुझे भी है |विरोध का तरीका हिंसात्मक हो रहा है जो की बहुत ही शर्मनाक है |हम अंहिसा के पुजारी गाँधी जी के देश के हैं |हिंसा हमें शोभा नहीं दे रहा है |
 सलीम - हाँ यह तुम सही कह रहे भाई, पर इन लोगों को कौन समझाए, शान्ति से भी मामला सुलझ सकता है |इनको नागरिकता बिल के बारे में पता भी नहीं है और सड़कों पर विरोध जता रहे है |
 अमर - वो तो है पर विडंबना यह है की समर्थन करने वालों को भी पता नहीं है, यह बिल क्या है? कल ही मैंने दोनों का टीवी पर डिवेट देखा |दोनों ही महाशयों [पक्ष व विपक्ष ] को नागरिकता बिल के बारे में जानकारी नहीं थी और आपस में झगड़ रहे थे |एंकर के सवाल पूछते ही बगली झाँकने लगे |कहने लगे मैं पढ़कर अभी नहीं आया हूं |
 सलीम - बात तो तूने भाई बहुत सही बताई और हमको आपस बरगला कर लड़ा रहे है |
 अमर - हाँ उनको राजनीतिक गोटियां सेकना है | नागरिकता संविधान का विरोध जायज नहीं है | कोई भी सरकार अपने नागरिकों को भगाना थोड़े ही चाहेगी |
 सलीम - सही कहा भाई, भारत विविधता से भरा देश है, यहां अलग बोलियाँ, अलग धर्म को मानने वाले व अलग संस्कृतियां विद्यमान हैं जो भारत को दुनिया से अलग करती है |यह भारत की महानता है |
 अमर - सच में सलीम तुम्हारे जैसा सभी सोचें |किसी बात का भी विरोध करें पर संयमित रहकर तो अच्छा रहता भाई |
 - सूर्यदीप कुशवाहा

कोई टिप्पणी नहीं

©संगम सवेरा पत्रिका. Blogger द्वारा संचालित.