दैनिक श्रेष्ठ सृजन- 27/12/2019 (अशोक दीप)
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सं
गम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
E-mail-vishvsahityasangam@gmail.com
दैनिक श्रेष्ठ सृजन
साहित्य संपादक- वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 अशोक दीप जी
27 दिसंबर 2019
शीर्षक- अभिमान
(मुक्तक)
धूल बाँटने वाले कर को, सुरभित सुमन दिया किसने ? आगे बढ़कर अरे शूल को, हँसकर गोद लिया किसने ? वैभव की मिथ्या ढेरी पर, अभिमान दिखाने वालों- अभिमानी माथे पर जग में,यश का तिलक किया किसने ?
अहंकार में डूबे नग को, निज सिर धुनते देखा है । मदगर्वित पगड़ी को दिन में, तारे गिनते देखा है
औक़ात यहाँ क्या है तेरी, सुन ओ अभिमानी पुतले,
सोने के सौदागर को भी, कंकड़ चुनते देखा है ।
रूप,रंग,धन,बल, सत्ता का, दुर्ग यहाँ दिन कितने ठहरे ? रोक सके कब चाल समय की, अरे दम्भ के दुर्बल पहरे ? इस धरती से उस अम्बर तक, ढूँढ़ मुझे बतलाओ लोगों
अभिमानी ढेलों के परचम, सदा धरा पर किस घर फहरे?
@अशोक दीप
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धूल बाँटने वाले कर को, सुरभित सुमन दिया किसने ? आगे बढ़कर अरे शूल को, हँसकर गोद लिया किसने ? वैभव की मिथ्या ढेरी पर, अभिमान दिखाने वालों- अभिमानी माथे पर जग में,यश का तिलक किया किसने ?
अहंकार में डूबे नग को, निज सिर धुनते देखा है । मदगर्वित पगड़ी को दिन में, तारे गिनते देखा है
औक़ात यहाँ क्या है तेरी, सुन ओ अभिमानी पुतले,
सोने के सौदागर को भी, कंकड़ चुनते देखा है ।
रूप,रंग,धन,बल, सत्ता का, दुर्ग यहाँ दिन कितने ठहरे ? रोक सके कब चाल समय की, अरे दम्भ के दुर्बल पहरे ? इस धरती से उस अम्बर तक, ढूँढ़ मुझे बतलाओ लोगों
अभिमानी ढेलों के परचम, सदा धरा पर किस घर फहरे?
@अशोक दीप
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