दैनिक श्रेष्ठ सृजन-24/12/2019 (उषा सेठी)
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संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017 (नई दिल्ली)
E-mail-vishvsahityasangam@gmail.com
दैनिक श्रेष्ठ सृजन
साहित्य संपादक- वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 उषा सेठी जी
24 दिसंबर 2019
शीर्षक- जिज्ञासा
(ताटंक छंद )
मन आकुल करती जिज्ञासा ,
सूर्य कहाँ छिप जाता है ।
अगली प्रात: को फिर नभ पर ,
यह कैसे दिप जाता है ।।
विविध रंग के फूल बनाकर ,
कौन गंध भर देता है ?
तितली के सुंदर पंखों पर ,
कौन रंग भर देता है ?
बच्चे के मन की जिज्ञासा ,
बहन कहाँ से आई है ?
माँ के तन की जिज्ञासा ,
सृष्टि कोख से जाई है ।।
कहे जिसे संसार नियंता ,
कहाँ छिपा वह होता है?
रात दिवस जो जगत चलाये ,
नहीं कभी भी सोता है ।।
यह जिज्ञासा जीवन इच्छा ,
सब के मन को भाती है ।
इसके बिना निरर्थक सब कुछ ,
दुनिया यही चलाती है ।।
✍️ऊषा सेठी
सिरसा
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शीर्षक- जिज्ञासा
(ताटंक छंद )
मन आकुल करती जिज्ञासा ,
सूर्य कहाँ छिप जाता है ।
अगली प्रात: को फिर नभ पर ,
यह कैसे दिप जाता है ।।
विविध रंग के फूल बनाकर ,
कौन गंध भर देता है ?
तितली के सुंदर पंखों पर ,
कौन रंग भर देता है ?
बच्चे के मन की जिज्ञासा ,
बहन कहाँ से आई है ?
माँ के तन की जिज्ञासा ,
सृष्टि कोख से जाई है ।।
कहे जिसे संसार नियंता ,
कहाँ छिपा वह होता है?
रात दिवस जो जगत चलाये ,
नहीं कभी भी सोता है ।।
यह जिज्ञासा जीवन इच्छा ,
सब के मन को भाती है ।
इसके बिना निरर्थक सब कुछ ,
दुनिया यही चलाती है ।।
✍️ऊषा सेठी
सिरसा
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