दैनिक श्रेष्ठ सृजन -28/11/2019 (दीप्ति शर्मा)
www.sangamsavera.in
संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017
(नई दिल्ली)
E-mail-vishvsahityasangam@gmail.com
दैनिक श्रेष्ठ सृजन-28/11/2019
साहित्य संपादक- वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 दीप्ति शर्मा जी
28 नवंबर 2019
शीर्षक- "निजीकरण" (कविता)
आखिर क्या है निजीकरण?
अपना विकास या सबका विकास।
सरकारी पद पर बैठे दिखते कुछ,
लोभी और भ्रष्टाचार सिर्फ़ अपनी है चिन्ता
भाड़ में जाये जनता बेचारी,
उनसे त्रस्त दुनिया सारी।
अपना कर निजीकरण
दूर हुई सबकी लाचारी।।
बेरोजगारी रूपी महामारी से,
भरी ये दुनिया सारी,
निजीकरण से जुड़कर,
हर काम को मिलता सम्मान।
सहना नहीं पड़े अपमान।।
हर सिक्के के होते अलग-अलग पहलू,
निजीकरण के बारे में भी सोच सबकी है अलग।
कोई इसे विकास का समझता द्योतक,
कोई समझता समाज के लिये घातक।
कभी ये अमीर-गरीब के बीच की खाई को,
है बढ़ाता तो कभी दोनों को पास लाता।
अपनाकर के निजीकरण को समाज,
विकास के पथ पर हो रहा आज अग्रसर,
अर्थव्यवस्था भी देखो रही सुधर,
भ्रष्टाचारियों के लिये है कुठाराघात।
ये विकासशील देशों की है अच्छी सौगात ।।
✍️दीप्ति शर्मा
जटनी( उड़ीसा)
संगम सवेरा पत्रिका
साहित्य संगम संस्थान
रा. पंजी. सं.-S/1801/2017
(नई दिल्ली)
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दैनिक श्रेष्ठ सृजन-28/11/2019
साहित्य संपादक- वंदना नामदेव
हार्दिक शुभकामनाएँ-आ0 दीप्ति शर्मा जी
28 नवंबर 2019
शीर्षक- "निजीकरण" (कविता)
आखिर क्या है निजीकरण?
अपना विकास या सबका विकास।
सरकारी पद पर बैठे दिखते कुछ,
लोभी और भ्रष्टाचार सिर्फ़ अपनी है चिन्ता
भाड़ में जाये जनता बेचारी,
उनसे त्रस्त दुनिया सारी।
अपना कर निजीकरण
दूर हुई सबकी लाचारी।।
बेरोजगारी रूपी महामारी से,
भरी ये दुनिया सारी,
निजीकरण से जुड़कर,
हर काम को मिलता सम्मान।
सहना नहीं पड़े अपमान।।
हर सिक्के के होते अलग-अलग पहलू,
निजीकरण के बारे में भी सोच सबकी है अलग।
कोई इसे विकास का समझता द्योतक,
कोई समझता समाज के लिये घातक।
कभी ये अमीर-गरीब के बीच की खाई को,
है बढ़ाता तो कभी दोनों को पास लाता।
अपनाकर के निजीकरण को समाज,
विकास के पथ पर हो रहा आज अग्रसर,
अर्थव्यवस्था भी देखो रही सुधर,
भ्रष्टाचारियों के लिये है कुठाराघात।
ये विकासशील देशों की है अच्छी सौगात ।।
✍️दीप्ति शर्मा
जटनी( उड़ीसा)
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